मौन सा संवाद कोई बह रहा पुरवाइयों में ...
भर गया अहसास बन रूह की गहराइयों में
मौन सा संवाद कोई बह रहा पुरवाइयों में
केनवस ये मन का रंग जाती है हलकी सी छुअन
रंग जाता है तेरे रंग में बहता हुआ मेरा ये मन
देख खूबसूरत बहुत है तेरी और मेरी दुनियाँ
बस तू है और मै हूँ और है तैरती हुई परछाइयाँ
कौन कहता है शब्द ही बोलते है इठलाते हुए
हाँ मैंने सुना है आज निःशब्दता को भी गाते हुए
संगीत की धुन कोई नज़ारो में है,बहती धारो में है
समेटे है दर्द जो ,दो साथ चलते किनारो में है
भर गया अहसास बन रूह की गहरीयो में
मौन सा संवाद कोई बह रहा पुरवाइयों में