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Friday 14 April 2017






आज जीवन से जुड़ी हुई दो कविताएं 

एक संवाद आज जीवन से करने का मन हुआ और झर पड़े बारिश की बूंदों की तरह  कुछ शब्द

अनमोल है तू जीवन मेरे लिए
मेरी पार्थना सा है ,मेरी आराधना सा है
कुछ धूप छाँव से भरा
तू मेरी साधना सा है

तेरी राह में कभी गिरती हूँ कभी चलती हूँ
कभी गिर गिर कर फिर सम्हालती हूँ
थाम लेना हर बार एक साथी बन
तेरी गोद में एक बच्चा बन पलती हूँ

एक संवाद आज कुछ कर लून
बढ़ कर तुझे मचल कर बाँहों में भर लून
सांसों का तना बना एक दिन टूट जायेगा
क्यों न आज ही जी भरकर तुझे प्यार कर लून

क्योकि अनमोल है तू जीवन मेरे लिए
मेरी पार्थना सा है ,मेरी आराधना सा है
कुछ धूप छाँव से भरा
तू मेरी साधना सा है

हर हाल में ख़ुशी .....

जीवन की इस राह में
स्वयं को पाने की चाह में
मन की गहराइयों के अम्बर पर
काले बादल आते तो हैं ,पर चले  चले जाते है
सीखा  जाते है हर बार
अँधियारो में फिर कैसे मै प्रकश बून लून
अनचाही उलझनों से लड़, कैसे जीवन मै तुझे चुन लून
दे जाते हर बार और गहरी आस और गहरा विश्वास
जीवन के लिए और गहरी प्यास
घनघोर बारिश के बाद बदलो की चीरता
उफरता है हर बार सतरंगी इंद्रधनुष कोई
हाँ उसी तरह उभर आतें हैं  हम भी
जीवन की इस राह में
स्वयं को पाने की चाह में
अपने अपने जीवन की अपनी अपनी सीख है
ज़िद है हमारी भी सिख कर इनसे पार जाना है
अनमोल है तू जीवन बहुत मेरी आराधना की तरह
हर हाल में तेरा हाथ थामे साथ मुझको जाना है
जीवन की इस राह में
स्वयं को पाने की चाह में
चुन लेती हूँ मै अपनी बाहें पसारे 
हर हाल में ख़ुशी




Thursday 13 April 2017







अरुण  बोलता है

सुदूर क्षितिज पर देखा है मैंने
मिलते हैं ये धरती और गगन
मेरी अरुणिमा की झीनी चादर के पार
जाकर देखो कभी अद्भुत ये संगम

सुना है कभी इन लहरों में बहता संगीत कोई
जैसे मचलती लहरों में बह रही हो प्रीत कोई
एक प्यास सागर में समां जाने की
हाँ मैंने देखी है एक आस
हर बून्द की सागर हो जाने की

सुनो हर कण प्रकृति का कुछ बोलता है
जागोगे कब इंसान तुमसे ये तुम्हारा अरुण बोलता है


Monday 10 April 2017


बहुत दिनों बाद कुछ लिखने को जी चाहता है.
लता जी की मधुर आवाज़ ने स्पंदन जगा दिया .....


स्पंदन


हर सांसों के साथ
चलता है स्पंदन ह्रदय का
आती और जाती सांसो के बीच
ठहर सा जाता है कभी जीवन
एक नयी सांस, एक नयी आस
एक नए जीवन की तलाश लिए
कुछ मीठी यादों की छाँव में
बहुत से मधुर लम्हो की प्यास लिए

हर साँसों के साथ
चलता है स्पंदन ह्रदय का
आती और जाती साँसों के बीच
मचल जाता है कभी मन
एक बच्चा बन चाँद को
बांहो में समेटने की चाह लिए
कभी उजारा ,कभी कुछ रंग स्याह लिए
बिखर जाता है जीवन पटल पर
हर बार नयी रचना का आभास लिए


हर साँसों के साथ
चलता है स्पंदन ह्रदय का