मन गुलाबी हो रहा है ...
बेमौसम बारिश के अंदाज़ निराले हैं
कुछ ज़िद्दी सुर्ख हवाएँ , कुछ बदरा काले है
रंगीली रुत में देखो,क्यों ये खो रहा है
कुछ हम गुलाबी है, कुछ मन गुलाबी हो रहा है
सितारे शरारती कुछ लुकछिप के झांकते से है
चाँद की खोज लिए ,चांदनी के संग ताकते से है
छुपकर देखो चाँद ,आज बदल ओढ़े सो रहा है
कुछ हम गुलाबी है , कुछ मन गुलाबी हो रहा है
रिमझिम झरती फुहारे,जाने क्या बोलती है
दूर खड़े गुलमोहर की, जो यूँ डालियाँ डोलती है
रातरानी की सुंगंध में ,चुपके से खो रहा है
कुछ हम गुलाबी है कुछ मन गुलाबी हो रहा है