शारद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें ...
जय श्री राधे-कृष्णा
शरद के चाँद की राह में
लालिमा बिछाता सुदूर क्षितिज पर
धरा को बाँहों में समेटता विस्तृत आकाश
सुगन्धित हो उठी गोधूलि बेला ,निशा का इंतज़ार लिए
आयी हैं न निशा देखो धवल चांदनी की चुनरी ओढ़
टिमटिमाते तारो का श्रृंगार कर
रोम रोम से बहाती प्रेम, ओंस बना संसार में
सुसज्ज्तीत हो उठी निशा ,प्रियतम चाँद का प्यार लिए
चलो कान्हा तुम चाँद बनो ,मैं निशा बन जाती हूँ
छनती रहे तेरी चांदनी,मेरे कण कण से निरंतर
झरता रहे प्रकाश तेरा ,मेरा अंतर तिमित चिर कर
छा जाओ मेरे अस्तित्व के आकाश में ,अपना विस्तार लिए