जीवन के हर रंग को समेटे हुए खुद में
देखो मुस्कुराता सा चमका है एक इन्द्रधनुष ,
सुदूर कही आकाश में
उतार लिए है आज मैंने हर रंग ,अंतरंग होकर
और खिल उठा है रंग मेरा सतरंगी ज़िंदगी की तरह.
हर रंग को जीना सीखा रही है ज़िंदगी
सांसो की लय पर बस आ रही कभी जा रही है ज़िंदगी
आगोश में समेट लूँ आज तुझको ये ज़िंदगी
छा जाये आकाश में इंद्रधनुषी ये रंग तेरा
वो एक टिका काजल का मेरे, छुपा दिया तेरे रंगो में
क्योकि भाता बहुत है मुझे इन्द्रधनुष मुस्कुराता हुआ ...
इन्द्रधनुष सी सतरंगी कविता ..........शुभकामनायें
ReplyDeleteThanks sir
Deleteअच्छी कविता
ReplyDeleteThanks sir
DeleteThanks sir
DeleteNice
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