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Saturday 2 January 2016


स्वतंत्रता की चाह..


आज अचानक दो छोटे कबूतर गलती से छत पे लगे जाल से अंदर आ गए,बहुत देर तक हमने उन्हें किसी भी तरह निकलने का प्रयास किया ,और अंततः बड़े प्यार के साथ मै उन्हें निकलने में सफल रही.मन असीम शांति ,आनंद और इश्वेर के प्रति कृतज्ञता से भर उठा.
हाँ पर इस घटना में याद रह गयी उनकी लाचार आँखे,उनकी विवशता , उनका डर और उन्हें बैचैन देख मेरी बेटी का दुखी होना .देखा मैंने उन्हें खुद को थकने की हद तक डर से इधर उधर भागते ,बैचैन हो जाता है मन वो दृश्य आखो के आगे आने पर.
हाँ सीखा पर उन छोटे पंक्षियों से अंत तक प्रयास करने का हुनर,दूसरी बात जो सीखी वो ये की ह्रदय में प्रेम और अच्छी भावना के साथ किया गया काम हमेशा सफल होता है.बस ढेर सारा प्रेम उनके प्रति मन में भर बड़े ही दुलार से उन्हें निकलने के प्रयास ने एक और सिख दे दी की प्रेम की कोई भाषा नहीं होती ,ये बेजुबान प्राणी भी समझ सकते है प्रेम और कढ़ोराता में अंतर.हम इंसान हो कर अगर सिख जाये प्रेम और सद्भावना तो और खूबसूरत हो जाये ये दुनिया.
Vandana Agnihotri

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