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Saturday 16 January 2016






पता नहीं कल के पन्नो पे लिखा क्या है ये ज़िंदगी
आज, अभी, इसी वक़्त में जीना सीखा दे अब तू मुझे 
बहता है हर पल देखो ,दरिया की तरह 
हर बून्द को उसकी ,पीना सीखा दे मुझे
झूम उंठूं ज़िंदगी ओढ़ कर , बस ज़िंदगी तेरी ही तरह ...

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