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Wednesday 3 August 2016










एहसासों के गलियारों में 

हसासों के गलियारों में 
खूबसूरत से उस गुलदान में 
कुछ गुच्छे भर यादें 
सजाई हैं ,आ जाना 

कुछ  कही, कुछ अनकही
देखो झूलती है लताओं सी
मन की दीवार पर 
कुछ बातें सजाई हैं,आ जाना 

थोड़ी सी ठिठोली गूंजती  
कुछ मीठी बोली गूंजती है 
लम्हो से लम्हे जोड़ उस बंदनवार सी 
कुछ चाहते सजाई हैं ,आ जाना 

वक़्त के झोरोखे से कुछ यादें झाँकती है 
एक मधुर मुस्कान ले 
लुक चिप मुझे ताकती हैं
 मधुमालती सी वो यादें सजाई हैं ,आ जाना 

एहसासों के गलियारों में 
खूबसूरत से उस गुलदान में 
कुछ गुच्छे भर यादें 
सजाई हैं,आ जाना 







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