क्या लिखूं ?
क्या लिखूं ?
हाँ ,कभी शून्य सा सवाल ताकता है
कुछ आतुर सा ,पन्नो के आर-पार
निःशब्दता में कुछ शब्दों की तलाश लिए
हाँ ,क्या लिखूं ?
क्या लिखूं उन आँखों पर
जिनकी पलकों में टाँगे ,है कुछ सपने
कुछ तेरे से ,कुछ मेरे अपने
हाँ , क्या लिखूं ?
क्या लिखूं उन मुस्कुराहटों पर
झरती है रौशनी जिनसे बिखरती सी
गुजर जाती है अंधेरो को मेरे चीरती सी
हाँ .क्या लिखूं ?
क्या लिखूं, उन बातों पर
पा जाती हर भटकन मेरी एक रास्ता सा
और हर शब्द जैसे मुझे तलाशता सा
क्या लिखूं ?
हाँ ,कभी शून्य सा सवाल ताकता है
कुछ आतुर सा ,पन्नो के आर-पार
निःशब्दता में कुछ शब्दों की तलाश लिए ...
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