ज़िंदगी एक सौगात सी है ..
ज़िंदगी इस रात सी है ज़िंदगी इस बात सी है
खुद से खुद की अधूरी मुलाकात सी है
कुछ जलते उजाले इसमें , कुछ ढलते अँधेरे है
ढूंढा तो पाया ,ज़िंदगी एक सौगात सी है
बहती इस रात के आर है क्या और पार है क्या
कुछ उलझते जवाब है ,कुछ सुलझते सवालात सी है
छू गया हो चाँद जैसे ,हौले से हंसकर इसे
उतरती हुई चांदनी में ,मचलते जज्बात सी है
ज़िंदगी इस रात सी है ज़िंदगी इस बात सी है
खुद से खुद की अधूरी मुलाकात सी है
bahut sundar
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