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Monday 29 June 2015


काँटो से दोस्ती कर फिर  हम गुलाबों सा महकेंगे


गुलाबी इस गुलाब की सुंदरता कितनी मोहक ,मन को प्रसन्न और शांत करती हुई और हम मंत्रमुग्घ से हो जाते है देख कर इसे .पर क्या हमने कभी महसूस किया इस सुंदरता की सार्थकता तक पहुचने में कितने काँटों का साथ उसे स्वीकारना होता है, तब खिल कर आता है मुस्कुराता एक गुलाब अपने सुन्दरतम और शुद्धतम रूप में .हम भी खिल सकते है अपने शुद्धतम और सुन्दरतम रूप में अपने जीवन की हर उँची- नीची पगडंडियों को स्वीकार कर उसकी हर सीख के साथ स्वयं के व्यक्तित्व को आकर देते हुए ,एक पथिक की तरह आगे बढ़ते हुए .किसी ने सच ही कहा था एक दिन मुझसे कोशिश करने वालो की हार नहीं होती.मै प्रयासरत हूँ इस गुलाबी गुलाब के रंग में रंगती हुई,अपने सुन्दरतम और शुद्धतम रूप में खिलने को हर काँटों की उलझन को स्वीकार कर जीवन बगियाँ में गुलाबी आभा बिखेरने के लिए ......


ज़िंदगी तेरे हर रंग हर रूप को स्वीकारा हमने 
तेरी हर साँझ हर धूप को स्वीकारा हमने 
कभी उजाले से नहाये ,कभी काले बादल छाये 
हंसी की  फुहारें कभी,आंसुओ के सावन आये 
गुनगुनी धूप में खिले हम, गुलमोहर सा छाये
 कभी अँधेरी रात में रातरानी बन मुस्कुराये 
काँटो से दोस्ती कर फिर हम गुलाबों सा महकेंगे
टेसुओ सा झूमते हुए, कभी महुए सा बहकेंगे 
रजनीगंधा की सुगंध बन बगिया में महकेंगे
 चमेली,बेला जूही कभी चंपा बन बहकेंगे
 हर सांस में ,हर आस में ,ढूंढते हुए पुकारा हमने
 ये ज़िंदगी हर हाल में तेरा साथ स्वीकारा हमने
ये ज़िंदगी हर हाल में तेरा साथ स्वीकारा हमने...........

4 comments:

  1. Another awesome creation, thanks for superb writing........

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  2. बहुत सुंदर ...

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    1. आभार सर ,आपका आशीष बना रहे ....

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