शायराना सी है ज़िंदगी की फ़ज़ा,आप भी ज़िंदगी का मज़ा लीजिये ......
आज यह गाना सुनते हुए ये जाना कितनी गहरी बात जीवन के लिए छिपी है इसमें .सच ही तो है एक खूबसूरत ग़ज़ल की तरह ही तो है ज़िंदगी जिसे कुछ ऊंचे कुछ नीचे सुरों में साधना होना है एक साधना की तरह ,और जब समय के तार पे झंकृत होते है शब्द इस ग़ज़ल के तब गुनगुना ही उठता है रोम रोम और तब हम कर सकते है इसके हर कठिन समय का भी सामना इसकी ताल में थिरकते हुए और समय को ललकारते हुए कुछ इस तरह जो इस गीत में सुना मैंने इन पंक्तियों के रूप में ....
जिस तरह आप चाहे नज़र आऊँ मै ,मुझको हर रंग में आज़मा लीजिये
शायराना सी है ज़िंदगी की फ़ज़ा ,आप भी ज़िंदगी का मज़ा लीजिये
मै ग़ज़ल बन गयी आपके सामने ,आप भी आज मुझे गुनगुना लीजिये
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