आज चन्द पंत्तियो को सजाया है गुलदान में मित्रो आपके लिए ...
यादें ..
वक़्त तो बादल सा उड़ा चला जाता है
ज़िन्दगी यादो से तरबतर छोड़ कर
सुनहरे पल ..
कलम की स्याही से उतर जाते है कुछ लम्हे
ज़िन्दगी की किताब पर अमिट पहचान लिए
पागलपन ..
मन तो कहता है जो महसूस करता है
लोग पागलपन नाम दें ये और बात है .
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