दस्तक उजाले की ,नवजीवन दे जाती है...
हाँ ,हर एक अँधेरे मोड़ पे
झांकता सा कोई प्रकाश
जैसे डूबते हुए मन में, उभरती हुई आस
दस्तक उजाले की ,नवजीवन दे जाती है
हाँ है कोई तो शय, जो राह दिखाती है
चाँद तो है सदियो से मुस्कुराता यूँ ही
बस कभी अंधियारी ,कभी उजियारी रात आती है
अँधेरी गालियाँ,फिर चांदनी में नहाती हैं
दस्तक उजाले की ,नवजीवन दे जाती है
हाँ है कोई तो शय, जो राह दिखाती है
जीवन है तो सफर है ,सफर है तो डगर है
रास्तो से धूप ,कभी छांव टकराती है
हमसाया बन ज़िन्दगी ,साथ गुनगुनाती है
दस्तक उजाले की ,नवजीवन दे जाती है
हाँ है कोई तो शय, जो राह दिखाती है
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