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Wednesday 4 May 2016



Bliss 

वह मौन मुस्कुराता सा ...

जब कुछ नहीं रहता बस  वह  रहता है
न मैं  रहता न तू रहता है , दूर तलक बस वह रहता है 
निःशब्दता में समाते हुए शब्द लिए वह मौन मुस्कुराता सा 

सांसो की लय पे कभी मद्धम सा थिरकता सा
दूर पहाड़ों में  जैसे  बर्फ सा पिघलता सा 
न मैं  रहता न तू रहता है , दूर तलक बस वह रहता है 
अंतस से अनन्त में  समाता  हुआ वह मौन मुस्कुराता सा 

जब कुछ नहीं रहता बस  वह  रहता है
न मैं  रहता ,न तू रहता है , दूर तलक बस वह रहता है 
निःशब्दता में समाते हुए शब्द लिए वह मौन मुस्कुराता सा 

मन की लहरों को सागर में उड़ेलता सा 
ढलते सूरज सा आकाश में लालिमा उकेरता सा 
न मैं  रहता न तू रहता है , दूर तलक बस वह रहता है 
रात बन भोर की आगोश में सिमटता वह मौन मुस्कुराता सा 

जब कुछ नहीं रहता बस  वह  रहता है
न मैं  रहता ,न तू रहता है , दूर तलक बस वह रहता है 
निःशब्दता में समाते हुए शब्द लिए वह मौन मुस्कुराता सा 

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