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Monday 30 May 2016


रेत के घरोंदे...


रेत के घरोंदे
छोटी छोटी आशा लिए 
छोटी छोटी उंगलियों से
बनते कभी ढलते रेत के घरोंदे 
वो बचपन के 

शीतल सी गीली रेत पे 
जैसे उभरती सपनो की आकृतियाँ
देख के वो चहकता मन 
लहरों से टकराते सपनो को 
कभी देख कर तरसता मन 
फिर भी नए सपने संजोना 
छोटी छोटी आशा लिए 
छोटी छोटी उंगलियों से
रेत में फिर मासूमियत भिगोना 

नयी उमंग नया उल्लास लिए 
छोटी छोटी आशा लिए 
छोटी छोटी उंगलियों से
बनते कभी ढलते रेत के घरोंदे 
वो बचपन के 

बहुत कुछ सिखाते  से
आशाओ का पाठ पढ़ाते से 
रेत के घरोंदे 

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