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Tuesday 24 May 2016
ईश्वर
अनकहे लब्ज़ों और अनखुले लम्हों सी
अधखिली सी ये गुलाबी पंखुड़ियां
गुलाबी इस आभा में ओंस बन ठहरा हुआ अहसास तेरा
ईश्वर तेरा ठिकाना कहा नहीं है
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