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Monday 9 May 2016




हे राम मेरे ,हे श्याम मेरे .....

जब यू मुझमे मैं बनकर रहते हो 
चंचल से इस निर्झर मन में 
निर्मल सरिता सा बहते हो 
हर अँधेरे में मेरे किरणों सा बहते हो
अब कर लो समाहित स्वयं में 
जिस तरह तिमिर हो निशा का 
खो जाता हर  सुबह व्योम में 
हे राम मेरे ,हे श्याम मेरे .....

अक्षय तृतीया की शुभकामनायें 

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