निर्झर लेखनी
Pages
Home
About
Monday 4 July 2016
ज़िंदगी का हाथ थामे, भीगी इस रात की गोद में
मलमली सपने ओठ सो जाएँ,
खो जाये ,खुद को एक बार फिर पाने के लिए
कल आएगी न मुस्कुराती सुबह हमे उठाने के लिए .....
हलकी गिरती फुहारों के शुभरात्रि दोस्तों ....
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment