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Monday 4 July 2016




ज़िंदगी का हाथ थामे, भीगी इस रात की गोद में
मलमली सपने ओठ सो जाएँ,
खो जाये ,खुद को एक बार फिर पाने के लिए 
कल आएगी न मुस्कुराती सुबह हमे उठाने के लिए .....

हलकी गिरती फुहारों के  शुभरात्रि दोस्तों ....

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