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Friday 1 July 2016



हे ईश्वर मेरे ...

देखा है बहुत करीब से तुझे, तेरे अहसास को आसपास अपने 
उस मचलते सागर के ह्रदय में जो ठहराव सा है वो क्या है,तुम ही हो 
उस उमड़ते बादल के सीने से फूटती जलधारा में बस तुम ही हो 
हाँ  वो तुम ही हो ,गहरे बहुत गहरे समाये हुए कण कण में 
इस सुंदर  धरा से उस विशाल फैले नील गगन में 

देखा है बहुत करीब से तुझे, तेरे अहसास को आसपास अपने 
जैसे एक लम्बी तलाश को ,बैचैन करती प्यास को मिल जाती है आस कोई 
वैसे ही समाये हो थिरकती लहरों के स्पंदन में, सागर की गहराई बन 
नाच उठते हो थिरकती बूंदों में, अद्भुत  सतरंगी परछाई बन 
हाँ  वो तुम ही हो ,गहरे बहुत गहरे सागर में छुपी असीम शांति का अहसास लिए 

देखा है बहुत करीब से तुझे, तेरे अहसास को आसपास अपने 
ये ईश्वर मेरे .....







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