सजीले सपने कुछ आँखों में और उनकी अटखेलियाँ
कभी नज़र आते है, कभी लुक छिप खेले आंखमिचोलियाँ
आवज़ दूँ मै कभी पकडूँ उन्हें तितलियों की तरह
आँखों में सहेज लिया कभी पलकों का केवाड़ लगा
जीने की कशमकश में , कुछ सामने खड़ी हो जब पहेलियाँ
आँखों को मूँद कर फिर ,तब पल दो पल साथ खुद के
खोज लेतें हैं हम कुछ इस तरह से उत्तर ज़िंदगी के
बाँहो में तब सुला लेती हैं थपकियाँ देकर
ममता लिए आँचल में ,जैसे पक्की सहेली हो ज़िंदगी मेरी
शेष रह जाता हैं तब एक मौन हर प्रश्नोत्तर की परिधि से निकल
और निखार आता हैं चेहरा तब पूर्णता लिए चाँद की तरह
चमकता, दमकता और शीतल चाँदनी में नहाया हुआ ..................
कभी नज़र आते है, कभी लुक छिप खेले आंखमिचोलियाँ
आवज़ दूँ मै कभी पकडूँ उन्हें तितलियों की तरह
आँखों में सहेज लिया कभी पलकों का केवाड़ लगा
जीने की कशमकश में , कुछ सामने खड़ी हो जब पहेलियाँ
आँखों को मूँद कर फिर ,तब पल दो पल साथ खुद के
खोज लेतें हैं हम कुछ इस तरह से उत्तर ज़िंदगी के
बाँहो में तब सुला लेती हैं थपकियाँ देकर
ममता लिए आँचल में ,जैसे पक्की सहेली हो ज़िंदगी मेरी
शेष रह जाता हैं तब एक मौन हर प्रश्नोत्तर की परिधि से निकल
और निखार आता हैं चेहरा तब पूर्णता लिए चाँद की तरह
चमकता, दमकता और शीतल चाँदनी में नहाया हुआ ..................
Thanks a lot.
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