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Friday 1 May 2015

कविता एक सुन्दर अनुभूति , जो हम सब जीते हैं हर सांस के साथ हमारे जीवन के हर अंश में, बस हम
उसे समझ नहीं पाते ,हर हिस्सा जीवन का एक पन्ना है जिसमे अलग अलग रसो से उभरती  है कुछ लकीरे  और उभर आती है एक कविता  कभी हसाती ,कभी रुलाती और कभी गुदगुदाती हुई .हमे बस  आवश्यकता है आँखे बंद कर उस उभरते अहसास को महससू करे और उत्तर जाने दें ज़िंदगी के  पन्नो पर खुद को एक  कविता की तरह, हर रस में डूबी हुई पंक्तियो के साथ ..............

ढल जाने दो  पन्नो पे छन्दो की  की तरह
उड़  जाने दो मन को परिंदो की तरह
फिर मन के आकाश पे फूटती है लालिमा
बह जाए जब ये मन  तरंगो की तरह

वंदना अग्निहोत्री 

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