ये हस्ताक्षर तेरे..
वक़्त के मेहराब पे टकी हुयी आयतो की तरह
दुआओ में मांगी हुई खूबसूरत चाहतो की तरह
सुदूर आकाश में सूरज सा, चमके कभी
मंदिरो के मुठेर पे घंटे सा, खनके कभी
महकाएँ मन बगिया, बसंत का आभास लिए
दूधिया चांदनी में भीगे ,कुछ अहसास लिए
एक मीठी सी धुन जगाते हैं मन में मेरे
ज़िंदगी के हासिये पे अंकित ये हस्ताक्षर तेरे....
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