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Tuesday 21 April 2015

एक प्रतीक्षा ....राधा


राधा ,कितना मधुर नाम ,कितना पूर्ण है नाम जो शांति देता है मन को अपने एक उच्चारण से .राधा एक उपमा है प्रेम की ,प्रतीक्षा की ,प्रयास की और निहारती हुई पलकों में कृष्ण मिलन  की आस की .राधा खुद में एक खोज है फिर भी हर खोज का अंत है .राधा कृष्ण का आरम्भ और और वही अनंत है .कृष्ण की राह में कृष्ण की चाह में ,कृष्ण होती राधा और फूटता है ब्रजकण से कोई संगीत एक गीत में उभरता हुआ :



नैन निहारे बाट शयम की ,कुंजन कुंजन  गलियन  गलियन 
बस गए क्यों  परदेश पिया तुम तोड़ हमारे ह्रदय का घट
चुभती है पुरवईया तुम बिन ,सुनी लगे ये  गलियां तुम बिन
वो कदम्ब देखे राह तुम्हारी ,तकता तुमको सुना पनघट 
राधा तेरी न रही अब राधा,खोज में तेरी बन बैठी  मोहन 
आ जाओ अब श्याम पिया तुम ,खुले हमारे ह्रदय के पट....

वंदना अग्निहोत्री 

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