मन की दशा और ज़िंदगी की दिशा ,कभी बैठ कर सोच लेते है हम जब ,अपने अंदर से ही पातें है सभी उत्तर जीवन के जो छुपा रखा है पिंजरों में हमने जाने कब से और खोलना सिर्फ हमे ही आता है अपने अंदर का वो पिंजर ,क्यों न आज हम टटोले उस चाबी को अपने अंदर ...
सुप्रभात मित्रो..
मन का बंधन खोल कर सोचा जब
आकाश और नीला नज़र आने लगा
चाँद कुछ चमकीला नज़र आने लगा
याद कुछ मीठी सी सहला गयी दिल को
फूलो का देखो पंख लगा गयी मुझको
सोचती हूँ उड़ चलूँ. हवाओ का है रुख जिधर
बहती हुई ज़िंदगी ये सीखा गयी मुझको.....
वंदना अग्निहोत्री
सुप्रभात मित्रो..
मन का बंधन खोल कर सोचा जब
आकाश और नीला नज़र आने लगा
चाँद कुछ चमकीला नज़र आने लगा
याद कुछ मीठी सी सहला गयी दिल को
फूलो का देखो पंख लगा गयी मुझको
सोचती हूँ उड़ चलूँ. हवाओ का है रुख जिधर
बहती हुई ज़िंदगी ये सीखा गयी मुझको.....
वंदना अग्निहोत्री
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