किताब का हर एक पन्ना जाने कितने भाव ,शब्दों के रूप में आकर लेते है जहाँ ,हर पन्ना एक दूसरे से जुड़ा एक अनदेखे से प्रवाह में बहता हुआ भावो के बीच तारतम्य बनाता हुआ .हर पन्ना जैसे अधूरा है एक दूसरे से जुड़े बिना क्योकि हर एक शब्द पिछले शब्दों का मर्म खुद में समेटे हुए है जहाँ एक अनजाना रिश्ता है दो पन्नो के बीच में जिसे हम सिर्फ महसूस कर सकते है किताब के पन्नें पलटते हुए ,यह सम्बन्ध ही सार्थकता देता है किसी कहानी ,किसी रचना को .जब कभी खो जाता है एक पन्ना तो मायने बदल जाते है रचना के,और एक सार्थक रचना तो वह होती है जहाँ हर पन्ना जुड़ा हो दो दिलो की तरह एक अनदेखी डोर से एक छोर से दूसरे छोर तक.तब आकर लेती है एक बहुत ही सुन्दर, सार्थक,धारा-प्रवाह रचना सभी के दिलो को भिगोती हुई .कुछ इस तरह ही होता है जीवन हमारा जिसकी हर एक घटना ,हर एक दिन आपस में जुड़े होते है बस हमे आवश्यकता है अपने दृषिकोण को व्यापक बना जीवन के हर पन्नें के बीच का सम्बन्ध ढूंढ निकलने की,अपने जीवन की किताब को दिल से पढने के लिए....
इस छोर से उस छोर तक
बह रहे कई भाव है
पन्नो के कोर से झाँकता कभी लगाव है
हास है ,परिहास है
कहीं दर्द में भीगा हुआ अहसास है
गुदगुदाती हुई हंसी कहीं
भीगी हुई नमी कही
जाने कितनो पन्नो को जोड़ती एक किताब है
इस छोर से उस छोर तक
बह रहे कई भाव है
पन्नो के कोर से झाँकता कभी लगाव है
हास है ,परिहास है
कहीं दर्द में भीगा हुआ अहसास है
गुदगुदाती हुई हंसी कहीं
भीगी हुई नमी कही
जाने कितनो पन्नो को जोड़ती एक किताब है
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