मुस्कुराहटें बिखेरेगी कल, फिर एक नयी भोर ....
सुला रहा है थपकियाँ दे गगन अपनी बाहें पसारे
तारो के बिछौने में ,सुनहरे तुम्हे वो ख्वाब पुकारे
खेलती है पुरवाइयाँ जब अलको से हौले हौले
चुपके से तब देखो पलकों पे निंदिया डोले
एक और रात ढल गयी ,ज़िन्गदी है सफर की ओर
मुस्कुराहटें बिखेरेगी कल, फिर एक नयी भोर
शुभ रात्रि
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